विपश्यना / तत्व अनुसंधान व नाइन प्वाइंट प्रोग्राम
आप,सर्वाधिक खतरनाक व ऐसे अलग आयाम से असुरक्षित है, जो आप जानते तक नही। दो जगह – आंतरिक विश्व व बाहूय विश्व में ध्यान देना ज़रुरी है तभी बचाव संभव है, लेकिन हम आंतरिक विश्व के बारे में तो कुछ जानते ही नही है ??
आंतरिक विश्व-अगर शारीरिक तल को छोड़ दे तो ब्रम्हांड में पुरुष व स्त्री (शक्ति) दो की सत्ता होती है आप को पता ही नही कि आप शरीरिक लत के बाहर ब्रम्ह जीव/ब्रम्ह कैसे है ?
अनंत, प्रकाश में से जब ज्योति (आप) आती है तो संपूर्ण शक्ति (स्त्री) उस पर कब्ज़ा करना चाहती है और करती है। शक्ति का अस्तित्व, एजेण्डा, ब्रम्ह (आप) से अलग है हालांकि श्रृष्टि निर्माण हेतु दोनों एक दूसरे के पूरक है पर पुरुष की बेहोशी, भुलने वाली स्थिति बनाये रखना, शक्ति के प्रयास का केन्द्र होता है, जितना ज्यादा पुरुष बेहोशी व भूलने वाली स्थिति में रहेगा, माया / शक्ति के विश्व की रचना उतनी ही सुगमता से होगी।
कही ऐसा तो नही कि आप के माइन्ड में एक केन्द्रीय स्थान होता हो, जहॉ पर समस्त सूक्ष्म शक्तियाँ आधिपत्य करना चाहती हा व आपकी बेहोशी/भूलने वाली स्थति में आधिपत्य करती है। अब वो बोलते है तो आप को लगता है आप बोल रहे हों, अब वो सम्वाद करते है, तो आपको विचार लगते है….. वो शारीरिक मूवमेंट लाते हो और आप समझते हो कि आप मूवमेंट ला रहें हो …. कही ऐसा तो नही आप से संपूर्ण अनंत के नियमो के विरुद्ध कार्य (चाहे तो पाप कह लीजीये) करवाये जाते हो ? और आप के ही खाते में जमा होते हो ? आप ही भुगतते हो और आप बेहोशी में अनभिज्ञ हो ? …..बहुत बड़ी बात है।
और जब आधिपत्य हो जाता हो तो आप (ज्योति) आधीन होते है आप सिर्फ अपने मनचाही दिशा में नही बड़ सकते तभी आपको एहसास होता है कि आप ने क्या खो दिया। कई तांत्रिक विधि आप के शरीर को नुकसान पहुंचाती है । जिन्हे आप हमेशा करते है पर पता ही नही होता कि वो तांत्रिक है। अगर आप पहले से आधीन है तो इन आधीनता को जान व स्वंतंत्र भी विपश्यना / तत्व अनुसंधान करने पर हो सकेंगें अतः किसी भी मानी हुई विधि में न उलझकर सीधे विपश्यना / तत्व अनुसंधान करो, एक बार एहसास हो गया तो गुथ्थियाँ सुलझती जायेगी… सारे उत्तर मिल जायेंगे, और आप (You Are the Unlimited Whole) वाले बोध का प्राप्त हो जायेंगे, और बहुत कुछ जान जायेंगे….
उसके पूर्व ये सिर्फ एक कहानी से ज्यादा कुछ नही…
हर व्यक्ती अचानक गुस्से में कैसे आ सकता है ? मतलब शक्ति एक स्थति में पहुंचती है जो ज्योति के सबसे करीबी अधिकार स्थति होती है। तो वह ज्योति की तरफ से सारे कर्म-बोलना, सोचना, कल्पना चलाना करने की एक अलग प्रकार की क्षमता में होती है, और ज्योति इसे जागरण पर जान पायेगी। चूंकि शक्ति के प्रारंभिक व बाद के लक्ष्य ब्रम्ह से अलग होते है तो शक्ति द्वारा ब्रम्ह-जीव (ज्योति) को बेहोशी में अधिकार करना फिर ब्रम्ह – जीव (ज्योति) के जागरण पर कोई विकल्प नही बचने पर उसी स्थिति को जारी रहने देना ही सारे संसार की अशांति का मुख्य कारण है। चूंकि ब्रम्ह व शक्ति संसार के निर्माण हेतु एक दूसरे की पूरक है, अतः हमे ऐसी कार्ययोजना बनाना है जिससे हम विश्व, पृथ्वी को शांतिपूर्ण विकास की दिशा दे सके।
पुरुष के जागरण में काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, जैसे भाव रुकावटे डालते है, चूंकि इनको भोगने से भोक्ता भाव के संस्कार बनते है, जो राग या द्ववेष के रुप में होते है, ये राग-द्ववेष आपकी चेतना को मुक्त नही होने देते और चेतना मुक्त नही होने पर उर्ध्वगति को प्राप्त नही होती, और उसका संपूर्ण में लय नही होता जिसे मोक्ष कहा जाता है और वह महा बोधी को प्राप्त नही हो पाता, तो आप (ज्योति) इस स्थिति में अपने संस्कारों की प्रोग्रामिंग के हिसाब से वही समझते है, जो संस्कार दिखाते है, मरते समय यह संस्कार समूह रहता है…. जो देवीय शक्ति के लिये की प्वाइंट है, जिनको सक्रिय करके आप की इच्छा, बेहोशी में भी जागृत हो जाती है, और इस आधार पर अगले जन्म में गति की स्थिति होती है और आप महाबोधी की स्थिति से वंचित हो जाते है जहां आप को होना चाहिए था।
इसलिए आप सबसे ज्यादा असुरक्षित है, क्योकि आप जागे हुए नही है और जागने के आपको विपश्यना / तत्वज्ञान की ज़रुरत होती है। तो अभी से विपश्यना / तत्वज्ञान सीख कर स्वतंत्र अन्वेषण शुरु किजिये और विश्व को कुछ दीजिए। स्वतंत्र अन्वेषण (अकेले खोज) में आप किसी भी ट्रेनिंग सेन्टर से दिशा बोध ले सकते है, पर अकेले बढ़ने के विशेष अलग फायदे है, और सामूहिक अन्वेषण के अलग फायदे है सामूहिक अन्वेषण में आप अपने को समूह के अनूसार संचालित करते हो, अगर आप मानसिक समृद्ध है और आत्मविश्वास से पूर्ण है तो आपको स्वतंत्र अनवेषण पर बढ़ना चाहिए।
YOU THE GOD:- वहाँ अव्दैत है/दूसरा कोई नही है / तुम ही हो / एकस्य ब्रम्हं / त्वं ब्रम्हास्मी ( पवित्र अल्लाह / पवित्र आलेलूया/परमपिता/निर्वाण स्थिती, सर्वोच्च अवस्था है) तो वहाँ तक की यात्रा करनी होगी। जिस तरह आटे के ढेर का अंश तत्वतः आटा ही है, उसी तरह अनंत प्रकाश से प्रकट ज्योति उसी का रूप/प्रतिनिधी/बन्दा है, जो तत्वतः वही है।
तत्व ज्ञान (Element Knowledge) :- तत्व-वहां अनंत, प्रकाश, महाचेतन्य (चाहो तो व्यक्ती कह लो समझने हेतू) है। ज्ञान-तुम वही अनंत, संपूर्ण (व्यक्ती) हो-ये शरीर नही (You are the unlimited whole not this physical body)
कैसे जानोगे- कैसे जानोगे जब तक शरीर पर बोघ अटका रहेगा, विभिन्न अच्छी (राग) या बुरे लगने वाले (द्वेष) विषयों पर ध्यान को व्यस्त रखोगे, तो अपने मुल स्वरुप पर ध्यान कैसे जायेगा ? तुम कभी सम्वाद में व्यस्त रहते हो, कभी कल्पनाओ को एक्टीवेट करते हो तय बाद जो तुम्हे समझ आती है कि जन्म और मृत्यू के बीच ये शरीर है। क्या तुम शरीर के पहले नही थे ? और क्या शरीर के बाद तुम नही रहोंगे ? और अगर लगता है रहोंगे तो किस रुप/आकार-प्रकार में ??
तुम अमर हो
तुम अमर हो यें बोध कैसे लोगे ? तुम्ही पृथ्वी का एक कार्य कर रहें हो, ये जानोगे कैसे ? इस शरीर सृष्टी के पीछे जो संचालक है, वह unlimited whole है, उसने या तुम्ही ने सारे शरीर धारण कर रखे है । मुल-स्वरुप पर ध्यान हेतू प्यार, करुणा, दया, निस्वार्थ कल्याण कार्य जरुरी है-क्यूकि अगर दूसरा शरीर / दूसरा जीव / वनस्पती तुम्ही हो तो अनजाने में अपने को इकाई (unit) शरीर मानकर इनके नुकसान से अपनी स्थती को प्रभावित करते हो। अतः नाइन प्वांइट प्रोग्राम को निःस्वार्थ क्रियानवित करते रहों, स्थती अनजाने में ही बेहतर होती जायेगी।
अनुसंधान- (एकाग्रता होश के साथ, और द्वार खुल गये) राग, द्ववेष में शामिल नही होते हुऐ, चेतना पर होश बनाकर रखे ना past में गोता लगाये ना future की उढ़ाने भरे present में रहे बस। मतलब चेतना पर होश बना कर रखेंगे तो वो उर्ध्वगती को प्राप्त होगी, ज्ञान के stock में वृध्दी होगी। और इस तरह अपका अगला प्रयास आप के बढ़े हुऐ ज्ञान तल से शुरु होगा-और धीरे धीरे आप उसी ओर बढ़ रहे है। तो प्रश्न यह है कि चेतना पर होश बनाकर कैसे रहे / होश में कैसे रहे / present में कैसे रहे………
श्वांश पे ध्यान- श्वांश पर ध्यान सर्वाधिक सही साधन है, जो कुछ एक्टीवेट नही होने देता, बस होश में रहने देता है, Present मे रहने देता है, ना Past ना Future 42 घंटे अधिकतम भी Present मे रहें तो ???
दर्शन/महाबोधी/ Your are the unlimited whole / आप खुद ही है…..!!
शक्ती का Food है संस्कार … जब नये विचार activate नही होते व Past व Future की विचार श्रंखलाये नही बनती….. तो वो पुराने संस्कारों को खाने लगती है…..एक समय आता है, जब कोई संस्कार नही बनता…. और अगर आप होश में है…. तो वो व्यापक होता है….. तो श्वांश पे ध्यान इस बोध के साथ साथ की मैं शरीर नही हूँ…. जारी रखें।
मैं शरीर नही कैसे ? – श्वांश के साथ साथ शरीर तल पर हो रही सूक्ष्म व स्थूल सम्वेदनाओं को अनित्य बोध के साथ राग व द्ववेष की समता स्थापित करते हुऐ निरीक्षण करते जाइये…. जान जायेगे। श्वांश पर ध्यान कैसे दे :- पहले, श्वांश अंदर आ रही है…… बाहर जा रही है….. . बाहर जा रही है…..देखो निरीक्षण करोंहोशपूर्ण बने रहो……. पुरी सजगता के साथ चौकीदारी करनी है…..एक एक श्वांश का हिसाब रखना है…..ध्यान भटकने ना पाये…. तुम present में रहे ….past व future के ख्यालों की श्रृंखला से बचे जो चेतना को अटका कर व्यस्त रखते थे…. तो यहाँ चेतना को व्यापक/उर्ध्व होने का अंतराल….. space मिला…. और उसकी working शुरु हो गई…. तुम्हे कुछ नही करना है… बस देखते, जानते रहना है, होश बनाकर रखना है….ज़रा चूके कि past / future के ख्याल आये …. और तुमने चेतना को वापस ख्यालों में व्यस्त कर दिया और बोध का अवसर खत्म हुआ। राग व द्ववेष के ख्याल आयेंगे, उनमें invole ना हो कर समता (स्थिरता बिना राग, द्ववेष के) बनाये रखना है। कुछ भी राग-द्ववेष आये तो वो अनित्य है….इस बोध के साथ श्वांश व सम्वेदनाओं का निरीक्षण करते रहे… इस अनुभव की प्रज्ञा strong होती जायेगी….. बीच बीच में gape बनेगा अन्तराल बढ़ेगा…..उसे बढ़ने दीजीये… बोध बनेगा….. और व्यापक अंतराल …महा बोधी।
पूर्व में इस तत्व ध्यान को, श्वांश ध्यान, महाचेतन्य बोध, आत्मदर्शन ध्यान, विपश्यना, निराकारिता ध्यान, कई नामों से जाना जाता रहा है।
बाह्य विश्व-में क्या आप नही चाहते कि पृथ्वी के संपूर्ण देशो को मिलाकर एक देश कई राज्यों के साथ हो, (UNITED STATES OF EARTH) भ्रष्टाचार खत्म हो और पूर्णतः पारदर्शी प्रणाली हो, (TOTAL TRANSPARENT SYSTEM) विकेन्द्रीय व्यवस्था में सत्ता प्रत्यक्षतः जनता के पास हो, एक प्रोग्राम हो (9 Point Programme) जिसके तहत आप लोकल, राज्य, राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, समूह बनाकर, उस स्तर की समस्याओं को İSSINN (ब्लाग में देखे) के रास्ते से समाधान करें, और भी बहुत कुछ….तो आईये विपश्यना /तत्वज्ञान विधि व 9 Point Programme को आगे बढाये जो कई देशो व भारत में पहले से चल रहा है।
इस ज्ञान के हर व्यक्ती तक पहुँच हेतू ज़रुरत है-१) मिशन के activation हेतू एक (सोसायटी) संगठन बनाना (२) उक्त सभी ब्लागों की वेबसाईट बनाकर maintain करना (३) भारत के हर शहर में इस ज्ञान को शिला पर खुदवाना (४) भारत के हर शहर में इस ज्ञान, ध्यान सेंटर ६ प्वाइंट प्रोग्राम, एजूकेशन व एक्टीवेशन सेंटर खालना (५) ब्लाग मे से ६ प्वांइट प्रोग्राम को समझना व उसके व ज्ञान के १०० परचे लोगो तक पहुँचाने हेतू प्रेरित करना (६) अहिंदी भाषी भाईयों के लिए इसे अंग्रेजी व अन्य भाषाओं में ट्रांसलेट कराना।
अगर बात समझ में आये और अगर हम इस को point 1% भी क्रियान्वित कर सके तो संपूर्ण पृथ्वी पर कल्याण मूर्त रुप लेने लगेगा। आग्रह- इस पर्चे को देह के अंतिम समय तक संभाल कर रखे व पढ़े, मतलब समझ में आने लगेंगें।
आईये :- नई व्यवस्था कि शुरुआत करें।